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बुधवार, 4 अगस्त 2010

       निष्ठुर जग की रीत
         हाहाकार  ह्रदय  में होता ,मन चुपके चुपके है रोता,
                     पग-पग पर बहता रहता है,कहीं ख़ुशी का अविरल सोता .
                                                          नर नियति का क्रीत .........निष्ठुर---- ..
               कहीं सिसक तो कहीं जलन है कहीं वेदना की तड़पन 
               कहीं चैन की बंशी बजती कहीं ख़ुशी का खिला चमन 
                                                         कहीं रुदन कहीं गीत .......निष्ठुर------
                     आज मिलन तो कल बिछुडन हैजीवन के ही बाद मरण है
                     कहीं हरीतिमा   के   पर्दों में   पलता   रहता     सूखापन है
                                                            कहीं घृणा  कहीं प्रीत .......निष्ठुर ------
              नर आता जग के आँगन में,बड़े मधुर सपने ले मन में
                वह क्षण  भंगुरता के गढ़में सो जाता जीवन पल भर में
                                                                   जीवन बालू भीत ............निष्ठुर -------      
                     यह संसार समर का आँगन   जीवन-युद्ध  जहाँ    होता  है
                      युद्ध जीत  हँसता  है कोई, कोई    सब   कुछ   खो    देता  है
                                                               कहीं हार कहीं जीत .........निष्ठुर
                                                   ( यह कविता सन १-७ -१९५२ को लिखी गयी )

2 टिप्‍पणियां:

  1. शेरघाटी की धरती कभी खूब उर्वर रही साहित्य-कला-संस्कृति के क्षेत्र में.इसी ज्वार के ही हैं जानकी बाबू और उन्हीं के परम्परा में आते हैं पंडित नर्मदेश्वर जी जिन्हें हम सभी बाबा कहते हैं.बाबा कहना यूँ ही नहीं है मेरा स्पष्ट कहना है की हिंदी के स्तम्भ बाबा नागार्जुन की तरह हमारे बाबा भी हमारे लिए उतने ही श्रद्धेय हैं.
    इनकी रचनाओं में भारतीय काव्य परम्परा के आदिम बिम्ब दीखते हैं.कस्बाई जगह की विडंबना रही वरन आपको यहाँ भी नित्य आ रहे वैचारिक परिवर्तनों की झलक अवश्य दिखलाई देती.

    बाबा की पुस्तक जल्द ही उनके प्रेमियों के सामने आने वाली है.मैं प्रयास में लगा हूँ.

    इस ब्लॉग के माध्यम से मैं शेरघाटी की जनता से सादर आग्रह करता हूँ इसे अपील समझा जाए की बाबा के सम्मान में एक दिवसीय आयोजन की तैय्यारी शुरू कर दें.उसी दिन उनकी बहु प्रतीक्षित पुस्तक का विमोचन ,उनके सृजन -कर्म पर संवाद और कवि-सम्मलेन भी होगा.

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  2. Badhai anupam,
    bhaut sandar bhai ........mai sabhi tarah ke help ki liye taiyar hu........
    Aur sahroj bhaiya ko badhai do ki wo kitab publish karne me itna effort laga rahe hai .....
    Call me any time when u need any type of help...........

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