'सारथि' एक ब्लॉग नहीं है, एक अनुभूति है, जिसे मेरे दादा जी ने समय के हर पल के साथ जीया है, उनकी कवितायेँ एक ओर जहाँ महाभारत के अर्जुन का गांडीव है जो समाज के युवाओं को ललकारती है तो दूसरी ओर सारथि के रूप में कृष्ण की तरह पथप्रदर्शक है . इनकी कवितायेँ जहाँ किसानों में नयी उर्जा भरती है तो शब्दों की तुलिका से भ्रष्ट हो
चुके समाज को रास्ता दिखलाती है - अनुपम (स्वतंत्र पत्रकार )
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